(कहानी अब तक https://hemagusain27.wordpress.com/2015/09/16)
बहुत दिन हो गए थे जब संध्या ने किसी रेस्त्रां में भोजन किया हो। सारंग ले के गए थे एक बार ,शादी के थोड़े ही दिन हुए थे तब। अच्छी तरह से याद थी संध्या को वह शाम ,कितनी खुश हुई थी जब सारंग ने बताया था की उस शाम वो बाहर जायेंगे, डिनर के लिए ,पर उसकी ख़ुशी में पानी फिर गया जब सास-ससुर भी उनके साथ चल दिए। घर के भीतर की बंदिश बाहर की बेड़ी बन गयी।
उसके बाद से कभी संध्या का मन नही हुआ बाहर जाने का। फायदा भी क्या था ? यूँ तो उसके विवाह को साल भर होने को आया था,पर इस सम्बन्ध में प्रेम नदारद था। संध्या के भी कुछ सपने होंगे ,सारंग से कुछ अपेक्षाएं होंगी ,ये न खुद सारंग सोचता था और न उसके सास ससुर। एकांत के दो क्षण भी दोनों को ना मिल पाते। रात के जिस पहर दोनों साथ भी होते तो दिन भर की थकान ना संध्या को कुछ कहने देती और ना सारंग को सुनने का धैर्य होता। जो उनके बीच होता वह तो बस रिश्तों की खाना पूर्ती होती। वीकेंड्स सारंग अपने दोस्तों के साथ बुक होता था।कभी भूले भटके अगर सारंग संध्या को कही बाहर ले जाना चाहता भी तो उसके सास ससुर पहले ही बन ठन के उनके साथ चल पड़ते। संध्या मन मसोस के रह जाती।
कितना शान्ति थी इस रेस्त्रां में और कितनी आज़ादी भी। संध्या का बुझा मन थोड़ा थोड़ा खिलने लगा था।
” रानी साहिबा कुछ आर्डर करेंगी या यु ही टुकुर टुकुर दीवारो को ताकती रहेंगी ? ” उषा का स्वर उसे वर्तमान के धरातल पे ले आया, ” यार जल्दी आर्डर कर ना ,जो मर्जी हो। ट्रीट मैं दे रही हूँ ,मुँह तेरा क्यू लटका हुआ है ?सच बोल सब ठीक तो है न, खुद को देखा है ? पच्चीस की उम्र में पचपन की नज़र आने लगी है ? ” उषा की आवाज़ में थोड़ी संजीदगी थी।
“अरे सब ठीक है यार, और आर्डर मैं तब करूंगी पर पहले वो अपनी तड़कती -भड़कती न्यूज़ तो बता। “
” सच बोल रही है ? “
” हाँ यार , अब क्या स्टैम्प -पेपर पे लिख के दूँ ? “
” अच्छा तो फिर कानों को अच्छी तरह से खोल कर के सुन। तूने ‘इमेज एंटरटेनमेंट’ का नाम सुना है?”
” पागल है क्या ? किसने नहीं सुना होगा ,इमेज इंटरनेशनल नंबर 1 एंटरटेनमेंट टीवी चैनल है। तो ,उसका क्या?”
” गुड ,हम आपके जनरल नॉलेज से इम्प्रेस हुए। ” उषा बेहद नाटकीय अंदाज़ में बोली।
” अरे यार नौटंकी बंद कर अपनी और बता भी। “
” हाँ तो मैडम इस वक्त आप ,इमेज एंटरटेनमेंट की क्रिएटिव हेड से रु-ब -रू हैं। “
” वाओ यार ,कॉंग्रेट्स। तू तो सेलेब्रेटी बन गयी फिर तो। आई एम वेरी प्राउड ऑफ़ यू। ” इस बार संध्या जोश में थी।
ख़ुशी की चमक से उषा दमक रही थी। कितना आत्म-विश्वास नज़र आता है उसके चेहरे से। दिखने में संध्या उषा से कही ज्यादा सुन्दर है। पढ़ाई -लिखाई में भी हमेशा अव्वल रही है और उषा हमेशा से औसत ही रही है ,फिर भी आज उषा सफ़लता की बुलंदियाचूम रही है और संध्या? संध्या का जो रहा सहा वज़ूद था वह भी गुमनामी के अँधेरे में खोने जा रहा है। संध्या ईर्ष्या से जल उठी। फिर स्वयं ही ग्लानि से भर उठी ,छि ,कितनी ओछी सोच हो गयी उसकी ,अपनी ही सहेली की तरक्क़ी बरदाश्त नहीं कर पा रही।
मन की शुद्धि के साथ ही ,संध्या अपनी एकमात्र सखी की ख़ुशी में शामिल हो गयी। लज़ीज खाने के साथ हँसी -ठहाकों का दौर चला तो ऐसा चला की समय का ध्यान ही नहीं रहा। पुराने दिनों की महक दोनों के दिलो को महका गयी।
साँझ हो चली थी ,संध्या को ससुराल में वापसी करनी थी।
(क्रमश:)
I hope Usha’s growth inspires Sandhya 🙂 Awaiting next…
TJ,where were you? you didn’t read the story as soon as it was posted and see I am waiting for readers and comments!
🙂
Now this was something I could relate to 🙂 two friends talking after getting married and how the life has changed them 🙂 I can feel this emotion 🙂 beautiful 🙂 bring the next one 🙂
अच्छा लगा पढ़के।
https://allpoly.wordpress.com
Happy you liked it..:) बहुत ख़ुशी हुई जान कर।
NJ,Glad you could relate to it, actually this is my purpose that we can relate to the protagonist in any way.. 🙂
And here it is.. Twists are coming on the way.. 🙂
Waiting for another good turn.. 🙂
Keep on writing dear.. 🙂
LOve you.. 🙂
Finally , a comment from you. You know, when u, TJ,Sri,NJ read n comment on my posts ,u all make my day!! Thank you for being so good to me..luv u all ❤
Love you.. ❤
As I said before, I was dying to read your post, but got tangled in some works here.. 😦
And here I am.. back in reading.. waiting for your next.. 🙂
Falling in love with Sandhya and her thoughts.. 🙂