(कहानी अब तक https://hemagusain27.wordpress.com/2015/09/21)
अब तक आपने पढ़ा की संध्या एक नवविवाहिता है जो ससुराल में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। उसका पति सारंग का व्यवहार उसके प्रति उदासीन है। संध्या कुछ दिनों के लिए अपने मायके रहने जाती है वहाँ उसे अपनी बचपन की सहेली उषा से मिलती है। उषा के साथ कुछ अच्छा समय व्यतीत करने के बाद संध्या कार से ससुराल की और निकलती है किन्तु रास्ते में उसकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। संध्या किसी प्रकार बच तो जाती है किन्तु उसका चेहरा बुरी तरह से घायल होता है। संध्या सारंग का इंतज़ार करती है ,किन्तु ना सारंग और ना ही ससुराल से कोई संध्या को मिलने आता है। संध्या इस बात से बड़ी आहत होती है। उसे पता चलता है की जिस कार से उसकी कार दुर्घटनाग्रस्त हुई थी ,उसमे बैठा एक मृत्यु हुई थी और एक गर्भवती का गर्भ नष्ट हुआ था ,संध्या उस महिला से मिलने जाती है ,तब उसके सामने कटु सत्य आता है की जो व्यक्ति मरा वह और कोई नहीं उसका पति सारंग था। अब आगे…
“तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो ? वो बच्चा डेढ़ बजे से स्कूल गेट में खड़ा है, अकेला ,और तुम २ बजे जा रहे हो उसे लेने ? ऐसा कैसे कर सकते हो तुम ? तुम्हारा खुद का बच्चा है ,मेरा नहीं तो कम से कम उसका तो ध्यान रखो, ” संध्या गुस्से से लाल पीली अपने मोबाइल से बात कर रही थी ,”और तुम से नहीं होता तो मुझसे कह दिया होता ,मैं चली जाती। इतना छोटा बच्चा पता नहीं कैसे खड़ा होगा वहाँ पर ?
परेशानी के भाव ने संध्या के चेहरे पर साँझ की स्याही छिड़क दी।
“अरे…. पर.…… ” फोन के दूसरे ओर से स्वर गूँजा।
“चुप रहो तुम ,बिलकुल ,अगर मेरे बच्चे को कुछ भी हुआ तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। मुझे तो पहले ही समझ जाना था कि तुम्हारे बस की बात नहीं है ,कल से सनी स्कूल बस में जायेगा ,बस। “
कह कर संध्या ने फोन काट दिया।
संध्या सर पकड़ के सोफे मैं बैठ गयी ,फिर से घड़ी पर नज़र दौड़ाई ,2 बजकर 5 मिनट हो चुके थे। जैसे -जैसे सुई की नोक आगे बढ़ती जा रही थी ,संध्या के दिल की धड़कन ओर तेज़ हो रही थी। संध्या उठ खड़ी हुई और बेसब्री से चहल कदमी करने लगी।
“क्या बात है बिट्टो ? क्यूँ इतनी परेशान है ? ” माँ ने संध्या को परेशान देखा तो पूछा।
“माँ ,देखो ना , सारंग कितने लापरवाह है। कहा था उनसे की सनी को स्कूल से लेना पर अभी तक पहुँचे नहीं। बेचारा मेरा बच्चा आधे घंटे से धूप में सूख रहा है। “
“तू चिंता मत कर ,मैंने स्कूल के गार्ड को फोन कर दिया है ,वो ध्यान रखेगा उसका जब तक सारंग वहाँ पहुंच नहीं जाता। “
“ओह ,थैंक गॉड ,पता नहीं मेरे दिमाग में ये बात क्यों नहीं आई। ” संध्या ने राहत की साँस ली, “पर माँ ,आप ही समझाओ उसको अब। हर बात में लापरवाही ,मैं कब तक सब अकेली सम्भालूँगी। “
“अच्छा ,ठीक है, मैं करती हूँ बात उससे। ” माँ ने आश्वासन दिया।
“ठीक है माँ , मै सनी के लिए लंच गरम कर लेती हूँ , भूख से मेरा बच्चा परेशान हो रहा होगा। “
“अच्छा बाबा ठीक है ,पर तू अब शांत हो जा जरा। ” माँ ने प्यार से उसके गाल में थपकी दी , संध्या रसोई की और चल दी।
माँ में टेबल में रखा संध्या का मोबाइल फोन उठाया और रीडायल किया , काफ़ी देर बेल बजने के बाद फोन रिसीव हुआ , “हे…. “
“अरे मैडम,कितनी बार कह दिए आपको की मैं कोई सारंग वारंग नहीं , हितेश देशमुख हूँ ,क्यों बार बार फोन कर रहीं है मुझे आप और कौन बच्चा, किसका बच्चा ? मेरी शादी नहीं हुई है अभी तक तो बच्चा कहाँ से आ टपका ?मुझे परेशान करना बंद करिये आप वरना पुलिस में रिपोर्ट कर दूंगा। ” माँ हेलो भी पूरा नहीं बोल पायी थी कि दूसरी और से झल्लाया हुआ स्वर उनके कानों से टकराया।
“माफ़ करना बेटा ,” माँ ने नम्र स्वर में विनती की , “मेरी बेटी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है ,उसकी वजह से जो तुमको परेशानी हुई उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूँ। “
“ओह,मैं कुछ ज्यादा बोल गया ,मुझे पता नहीं था। आई एम सॉरी ,आंटी। ” ,दूसरी ओर से शांत आवाज़ आई।
“कोई बात नहीं बेटा। ” माँ ने फोन काटा ही था की टॉयलेट से पानी के लगातार बहने की आवाज़ आई ,माँ दौड़ के टॉयलेट पहुंची जो वहाँ का दृश्य देख के दंग रह गयी।
संध्या के सारे कपडे बाहर बिखरे थे और संध्या टॉयलेट में स्नान कर रही थी।
“संध्या,ये तू क्या कर रही है बिट्टो ?” माँ बहुत घबरा गयी।
“माँ मैं कितनी गन्दी हो रहीं हूँ , ये खून धुलता क्यों नहीं ? “संध्या बेहरहमी से अपने शरीर को रगड़ रही थी।
माँ भाग के भीतर से एक चादर ले आई ,और जल्दी से संध्या को ढक दिया।
“कुछ नहीं लगा है बेटा ,देख सब साफ़ हो गया। “
“साफ़ हो गया ?” संध्या ने गौर से खुद को देखा।
“हाँ बिट्टो , ” माँ किसी तरह से उसे बैडरूम में ले आई, दवाई दे तो दी लेकिन जब तक दवाई के असर से संध्या सो पाती ,तब तक वह संध्या दर्जनों बार अपने हाथ धो चुकी थी।
माँ दोनों हाथ सर पर धरे नीचे ज़मीन पर बैठ गयी। कमबख्त इंसान खुद तो रंगीन जिंदगी जिया और मरा तो उसकी बेटी की जिंदगी से सारे रंग ले गया।
This is painful Hema 😦 Very painful.
Every night breaks into a dawn TJ, and then there is a light,light of a full bright sunny day..:)
I hope so…
Hope is life & life is hope TJ.
True 🙂
When i read the first paragraph I didn’t understood what was happening ..i mean how come she was talking to sarang and they had child ? But slowly when I read further the cards opened their game 🙂 You are bringing splendid twists in each and every part 🙂 …I am loving it ❤
That’s exactly what I wanted to do, to confuse the readers,we writers do have a habit of pulling the right ear with the left hand you know that.. 😛
ha ha 😀 yeah very true 🙂 It seems like a big compliment when someone says I perceived what you wrote 🙂
Exactly.. 🙂
Hema Di..
Sowie I was busy.. caught up with this now only..
And you are making marvellous twists again and again… 🙂
❤
That I understood,but as they say better late then never..glad you are reading the earlier chapters..
Love you always.. ❤